-- जयपुर-राज्य सूचना आयोग ने सूचना अधिकार कानून की अनदेखी करने और लोगो को सूचना मुहैया कराने में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियो के विरुद्ध अपना कड़ाई का रुख जारी रखा है। आयोग ने पांच अलग अलग मामलो में अधिकारियो पर पांच पांच हजार रूपये का जुर्माना लगाया है।
इन पांच अधिकारियों में पंचायत राज और शिक्षा विभाग के अधिकारी शामिल है। सूचना आयुक्त नारायण बारेठ ने उदयपुर में प्राथमिक शिक्षा के जिला शिक्षा अधिकारी पर पांच हजार रूपये का जुर्माना लगाया है। आयोग के सम्मुख उदयपुर के जयेश ने अपील दाखिल कर शिकायत की कि शिक्षा अधिकारी लम्बे समय से उनके आवेदन की अनदेखी कर रह रहे है। आयोग ने अधिकारी से जवाब तलब किया। लेकिन कई मौके देने के बाद भी न तो वे हाजिर हुए न ही कोई जवाब दिया। इस पर आयोग ने नाराजगी जाहिर की और जुर्माने की राशि उनके वेतन से वसूलने का निर्देश दिया।
आयोग ने शिक्षा अधिकारी को निर्देश दिया है कि वे एक पखवाड़े में जयेश को संबधित रिकॉर्ड का अवलोकन करवाए और 50 पृष्ठ तक की सूचना निशुल्क उपलब्ध करवाए।ऐसे ही चितोड़ गढ़ जिले में एक और मामले में सुनवाई करते हुए आयुक्त बारेठ ने गोकुल में सरकारी स्कूल के प्रधानाचार्य पर पांच हजार रूपये की शास्ति आरोपित करने का निर्देश दिया है। आयोग में स्थानीय नागरिक मनोज ओझा ने शिकायत की कि वे 2019 से कुछ सूचनाओं के लिए प्रयास कर रहे है। लेकिन स्कूल प्रबंधन ने कोई सुनवाई नहीं की।
राज्य सूचना आयोग ने श्रीगंगानगर जिले में सादुलशहर के विकास अधिकारी के खिलाफ भी सूचना देने में कोताही बरतने पर पांच हजार रूपये का जुर्माना लगाने की हिदायत दी है। आयोग में एक नागरिक रामचंद्र ने अपील दाखिल आकर आरोप लगाया कि वे किसान सेवा केंद्र के साथ सह विलेज सेंटर के निर्माण की सूचना मांग रहे है। पर दो साल तक उनके आवेदन की अनदेखी की गई। आयोग ने विकास अधिकारी को सुनवाई के लिए तलब किया। पर अधिकारी ने इसकी भी उपेक्षा की। सूचना आयुक्त ने अधिकारी को 15 दिन में वांछित सूचना मुहैया कराने का निर्देश दिया है। साथ ही पांच हजार रूपये का जुर्माना लगाने का निर्देश दिया है।
आयोग ने बीकानेर जिले में एक नागरिक मदन मोहन रंगा की अपील पर सुनवाई करते हुए बेरियावाली के ग्राम विकास अधिकारी पर भी पांच हजार रूपये का जुर्माना लगाने का आदेश सुनाया है। रंगा ने अपने एक पत्र पर हुई कार्यवाही की जानकारी मांग रहे थे। लेकिन अधिकारी ने सुनवाई नहीं की। आयोग ने अधिकारी को पंद्रह दिन में नागरिक को सूचना प्रदान करने की हिदायत दी है। सूचना आयुक्त बारेठ ने आयोग के आदेश की प्रतियां इन अधिकारियों के विभाग में वरिष्ठ अधिकारियों को भी भेजने का निर्देश दिया है। ताकि विभाग ऐसे मामलों में सूचना के अधिकार कानून की पालना की पुख्ता व्यवस्था कर सके।