याद किए गए अकबर इलाहाबादी
सुभाष तिवारी लखनऊ
प्रयागराज : एस.एस. खन्ना महिला महाविद्यालय में ’’अकबर शताब्दी’’ समारोह के अवसर पर उर्दू विभाग द्वारा ’’अकबर इलाहाबादी की सदी तकरीब’’ के विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित प्रो. आफाक अहमद आफ़ाकी, अध्यक्ष उर्दू विभाग, बनारस हिन्दू यूनीवर्सिटी ने अपने वक्तव्य भाषण में अकबर के अहद के समाजी, सियासी और तहज़ीबी हालात पर रौशनी डाली एवं अकबर के तालीमी नज़रयात पर अपने ख्यालात का इज़हार किया। कार्यक्रम के दूसरे वक्ता जामिया मिल्लिया इस्लामिया के प्रो. अहमद महफूज़ ने कहा कि अकबर का शुमार उर्दू के पाँच बड़े शायरो में होता है और यह हमारे लिये गर्व की बात है कि अकबर का तालुक्क़ इलाहाबाद से है जिनका शुमार उर्दू के सबसे बड़े तन्ज़-ओ-मज़ाह (व्यंग) शायर के रूप में होता है। उन्होंने यह भी कहा कि अकबर क्यों और किस तरह से बड़े होते है यह हमें समझने की जरूरत है। शेर पढ़ा " या इलाही ये कैसे बन्दर है’, इरतिक़ा पर भी आदमी न हुए"।
अकबर के इस शेर के माध्यम से प्रो. महफूज़ ने अकबर की इन्सानी इरतिक़ा के नज़रिये पर भी चर्चा की। महाविद्यालय कि वाइस प्रिसंपल डॉ. नीरा सचदेवा ने अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. ताहिरा परवीन एवं धन्यवाद डॉ. आरिफां ने ज्ञापित किया। इस अवसर पर महाविद्यालय की प्राचार्या, डॉ. लालिमा सिंह, डॉ. रितु जयसवाल, डॉ. रूचि मालवीय, डॉ. निशि सेठ एवं वैभव अग्रवाल आदि उपस्थित रहे।