*जिन्हें कई पीढ़िया याद करती रहेगी.......
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जयपुर।जब तक जीवन जीया तब तक मानवता को सार्थक करने वाले हंसराज जी परवाल जीवन के बाद भी वो काम कर गये जिन्हे आने वाली कई पीढ़िया याद करती रहेगी।
धर्मार्थ कार्यो में सदैव तन मन धन से तत्पर रहने वाले 90 वर्षीय परवाल जी ने गत 10 अक्तूबर ने देह त्यागी और वहाँ चले गये जहाँ एक न एक दिन सभी को जाना लेकिन लौट कर नहीं आना........
धर्मपत्नि, दो पुत्रों, दो पुत्रियों के पिता तथा भरे पूरे परिवार में शान्ति और प्रसन्नता के साथ जीवन यापन कर चुके हंसराज जी ने निधन से पूर्व वो कर दिखाया जिसकी सर्वत्र प्रशंसा हो रही है।
भारतीय संस्कृति व संस्कारों की प्रतिमूर्ति दधीच ॠषि के महान पद चिन्हों का अनुकरण करते हुए पूज्य हंसराज जी ने अपने जीते जी देह दान की घोषणा कर चिकित्सकीय विज्ञान के संदर्भ में एक अनुकरणीय कार्य कर दिया।
धीरे-धीरे मेडिकल साइंस अपने क्षेत्र में निरंतर तरक्की करती जा रही है और नित नये अनुसंधान हो रहे हैं लेकिन इन सभी कार्यों व अनुसंधान के लिए मृत मानव देह की परम आवश्यकता होती है।
अनेक प्रकार की भ्रांतियों के चलते मृत देह की उपलब्धता बहुत ही कम संख्या में हो पाती है।
इन सभी भ्रांतियों को दरकिनार करते हुए परवाल जी ने मानवता पर बहुत बड़ा उपकार किया और उनकी पूर्व में की गई कठोर लेकिन कल्याणकारी घोषणा के अनुसार उनकी देह को जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में दान कर दिया गया जहाँ शोध आदि के लिए विद्यार्थियों का मार्ग प्रशस्त हो सकेगा।
लगभग पैंतालीस वर्ष पूर्व जयपुर जिला के किशनगढ़ रेनवाल कस्बे से जयपुर शहर में आकर अपने परिवार के साथ बसे हंसराज जी में जब तक सामर्थ्य रहा प्रतिदिन निरन्तर जयपुर के आराध्य देव गोविन्द देव जी के मंदिर में आते रहे।
किशनगढ़ रेनवाल प्रवासी मंडल के सदस्य के रूप में उनके कार्य सदैव स्मरण रहेंगे।
गो सेवा व मानव सेवा के साथ - साथ आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की कन्याओं के विवाह में यथा सम्भव सहयोग प्रदान करना उनकी वृति में शामिल रहा।
हंसराज जी चले गये लेकिन आज भी उनके द्वारा किए गए कल्याणकारी कार्य उनके विद्यमान होने का अहसास कराते हैं।
वे छोड़ गये ऐसा भरा पूरा संस्कारों से युक्त परिवार जो उनके संकल्पित कार्यों व उनके संजोये सपनों को साकार करने के लिए सदैव तत्पर हैं और रहेंगे।