बांसवाड़ा राजस्थान जनतंत्र की आवाज ब्यूरो जगदीश चावडा
कुशलगढ़ विधानसभा 166 जनजाति बाहुल्य क्षेत्र की जनता का भगवान कौन?
पूछता है जनतंत्र की आवाज
कुशलगढ़़ में पानी की तलाश मेंंं बैठी महिलाएं गला तर करने के लिए जान की कोई कीमत नहींस्वयं और माल मवेशियों के लिए एडवायजरी और लाक डाउन का पालन कर कैसे करें हलक तर?
जिम्मेदार विभाग पीएचडी सहित शासन ,प्रशासन गंभीर समस्या पर डेढ़ माह गुजरने के बावजूद नही दे रहे ध्यान।
दो साल जनता से दूर है 800 करोड़ की माही पेयजल योजना का पानी।
बांसवाड़ा जिले में सबसे अधिक नान कमांड क्षेत्र गर्मी के दिनों में दानपुर,छोटी सरवन और एमपी गुजरात सीमावर्ती कुशलगढ़ विधानसभा क्षेत्र आता है जहां अमूमन हर साल फरवरी माह में ही पेयजल स्रोत जवाब दे जाते हैं और विगत अधिकांश सालों से हर 1 अप्रैल से पीएचडी विभाग द्वारा जिला प्रशासन को टैंकर चालू कराने के आदेश के बाद पीने के पानी के टैंकर चालू हो जाते हैं पर हैरत की बात यह है कि इस बार कोरोनावायरस महामारी संक्रमण की दूसरी लहर मुंह बाये खड़ी हो गई है वहीं सरकार ने दस दिन के सख्त लाकडाउन और एडवायजरी का फरमान जारी कर दिया है जबकि में महामारी और आपदा में तत्काल एक्शन होकर नान कमांड गांवों की जनता को अपने अपनै गांव और फलियों मे पानी की सुविधा मुहैया कराना चाहिए ताकि संक्रमण की चैन तोड़ी जा सके लेकिन कुशलगढ़ विधानसभा 166 की पंचायत समिति कुशलगढ़ और सज्जनगढ़ में कुल 92 के करीब ग्रामपंचायते होकर पांच दर्जन से अधिक ग्रामपंचायतों के विभिन्न सैंकड़ों गांवों में इंसानों और मूकबधिर माल मवेशियों के हलक तर करने का कोई संसाधन नहीं है ऐसे में आदेश होने के बावजूद अब तक कोरोना महामारी और जब गांवों में संक्रमण फैल चुका है पानी के टैंकर अब तक जीपीएस सिस्टम लगाने के चक्कर में शूरू नहीं हुए हैं जबकि विधानसभा इलाके में डेढ़ माह से जनता पीने के पानी का बंदोबस्त कहीं सूखे नदी नालों के पेटे में विला खोदकर तो कहीं तीन से चार किमी एक गांव से दूसरे गांव जाकर करने को मजबूर हैं जबकि शासन ,प्रशासन से लेकर जिम्मेदार जलदाय विभाग कागजी घोड़े दौड़ाकर पानी के टैंकर शुरू करने के आदेश तक सिमित है जबकि विधानसभा क्षेत्र की एक भी पंचायत या एक भी गांव में आज दिन तक एक भी टैंकर शुरू नहीं हुआ है जो बेहद गंभीर विषय होकर कोरोना में महामारी संक्रमण में आम जनता की जान जोखिम में डालने जैसा विषय है लेकिन यहां क्षेत्रिय सरकार से जूडे नुमाइंदों और जनप्रतिनिधियों और शासन प्रशासन को जनता की पड़ी ही नहीं है जनता शायद वोट देने तक सिमित है यहां बता दें कि पूर्व भाजपा सरकार में वसुंधरा राजे ने कुशलगढ़ विधानसभा के 499 राजस्व गांवों और 502 के करीब ढाणी मजरों में माही बांध में लघु पेयजल योजना के लिए करीब आजादी के बाद पहली बार 800 करोड़ के करीब बजट जारी किया है धरातल पर कोरोनावायरस संक्रमण अनैतिक और लगातार दो साल से लाक डाउन और सख्ती होने से काम पूरा नहीं होकर दो साल और लगेंगे लैकिन जनजाति बाहुल्य क्षेत्र की जनता को आखिर पानी कौन पीलाएगा इस पर भी अभी तक सवालिया निशान लगे हैं ऐसे में पूरे मामले में कुशलगढ़ पीएचडी विभाग के सहायक अभियंता निखिल त्रिवेदी से जानकारी लेने पर बताया कि विभाग ने कलेक्टर कार्यालय की अनुशंसा पर कुशलगढ़ की विभिन्न पंचायतों के 121 गांवों में प्रतिदिन 125 पानी के टैंकर शूरू करने की निर्णय बैठक होकर आदेश कर दिए हैं इस बार हर टैंकर में जीपीएस सिस्टम की अनिवार्यता के चलते अब तक कोई रजिस्ट्रर्ड सप्लायर्स या ठेकेदार या ग्रामपंचायतों से कोई रूचि नहीं दिखा रहा है इसको लेकर भी उपखंड अधिकारी से लेकर जिला कलेक्टर को अवगत कराया जा चूका है जैसा आदैश होता है तो पीएचडी विभाग को पानी के टैंकर शुरू करने में किसी प्रकार की तकलीफ़ नहीं है ज्ञात रहे कि जनतंत्र की आवाज में सप्ताह भर पहले खबर प्रकाशन के बाद क्षेत्रिय विधायक ने भी नान कमांड विधानसभा कुशलगढ़ में पानी टैंकर शुरू करने निर्देशित किया लेकिन धरातल पर विधानसभा के किसी भी गांव या पंचायत में आज दिन तक एक भी टैंकर की आपूर्ति नहीं हुई है।
फोटो कुशलगढ़ विधानसभा के घाटा क्षेत्र में सूखी नदी से हलक तर करने का आलम करते ग्रामीण
तो सज्जनगढ़ पंचायत समिति के डूंगरा क्षेत्र में टैंकर शुरू नहीं होने से गंदा पानी पीने को मजबूर ग्रामीण