गरीबों के बीच नि: शुल्क मास्क वितरण तथा सार्वजनिक स्थलों पर सैनेटाइजर व्यवस्था की जाय।
अध्यादेश से भाजपा की रघुवर दास शासन की तरह पुलिसिया अत्याचार बढ़ जाएगा।
लातेहार - माकपा के पूर्व जिला सचिव सह चतरा लोकसभा क्षेत्र के पूर्व प्रत्याशी अयुब खान ने एक प्रेस ब्यान जारी कर कहा है कि कोरोना के संक्रमण से निपटने के लिए झारखंड जैसे गरीब प्रदेश में एक लाख रूपया का जुर्माना और दो साल की सजा के अध्यादेश की आवश्यकता नहीं है, इसके लिए पहले से ही जुर्माना और जेल का प्रावधान है, इस लिए इसपर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सरकार तुरंत विचार करें, वैश्विक महामारी की रोकथाम के लिए एहतियात जरूरी है, सरकार के निर्देश का पालन भी लोग कर रहे हैं, पुलिस की गस्ती और छापामारी भर से ही भीड़ - भाड़ नहीं लगती है, लोग बिना मास्क के नहीं चलते हैं, इसके बावजूद भी इतनी सख्त सजा का प्रावधान वह भी अध्यादेश द्वारा यह गरीब आम लोगों को ही भुगतना पड़ेगा, इस प्रावधान का दुरुपयोग भी होगा क्योंकि इसे लागू करने में पुलिस स्वतंत्र होगी, पुलिसिया भूमिका पर किसी का नियंत्रण नहीं रहेगा, जिस तरीके से पूर्व की भाजपा नेतृत्व वाली रघुवर दास शासन ने पुलिस को छुट दी थी उससे पुलिसिया दमन सर चढ़कर बोल रहा था, उसी तरह इस अध्यादेश के लागु होने से पुलिस का अत्याचार बढ़ जाएगा, केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की नोटबंदी, जीएसटी, आर्थिक मंदी समेत जन विरोधी नीतियों से गरीब, मजदूर, किसान, बेरोजगार युवा और दुकानदार पहले से ही त्रस्त थे, इधर कोरोना लॉकडाउन के कारण आम जनता और भी बुरी तरह प्रभावित परेशान हैं, खाने के लिए लाले पड़े हैं ऐसे समय पर यह अध्यादेश लोगों को परेशानी ही बढ़ाएगी, गरीबों के बीच नि: शुल्क मास्क वितरण तथा सार्वजनिक स्थलों पर सैनेटाइजर व्यवस्था किए जाने की जरूरत है, मुख्यमंत्री द्वारा हमेशा गलत नियमों और कानूनों का विरोध किया जाता रहा है इसलिए राज्य की जनता को उम्मीद है कि वे इस मामले पर लचीला रवैया अपनायेंगे, इस फैसले पर पुनर्विचार कर इस सख्त अध्यादेश को वापस लेने की मांग माकपा ने मुख्यमंत्री से की है।