*रोज सुबह करें प्रणाम, प्रार्थना और परोपकार जीवन में होगा चमत्कार*
*राष्ट्र-संत ललित प्रभ*
*प्रवचन से प्रभावित होकर हजारों युवाओं ने लिया माता-पिता को पंचांग प्रणाम करने का संकल्प*
निंबाहेड़ा 1 मार्च। राष्ट्र-संत श्री ललितप्रभ महाराज ने कहा कि सुबह उठते ही भगवान का नाम बाद में लें पहले यह संकल्प करें कि मैं अपने कर्तव्यों के प्रति निष्ठाशील रहूंगा। गॉड का अर्थ है गो ऑन ड्यूटी अर्थात अपने कर्तव्य को निभाना। केवल मंदिर जाकर प्रतिमा जी का अभिषेक करना ही भगवान की पूजा नहीं है, वरन धरती को सुंदर, स्वस्थ और स्वच्छ रखना भी मंदिर जाने और प्रभु की पूजा करने जितना पुण्यदायी है। हम आसमान में बसे स्वर्ग के सपने देखने की बजाय इस धरती को ही स्वर्ग बनाने के लिए प्रयास करें। उन्होंने कहा कि कदम ऐसा चलो कि निशान बन जाए, काम ऐसे करो कि पहचान बन जाए और जीवन ऐसे जियो कि सबके लिए मिसाल बन जाए।
संत महाराज रविवार को सकल जैन श्री संघ द्वारा आदर्श कॉलोनी स्थित नेहरू गार्डन में आयोजित प्रवचन माला के समापन पर हजारों श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे। प्रणाम करने का पाठ सिखाते हुए संत प्रवर ने कहा कि हमारा पहला कर्तव्य है बड़ों को प्रणाम करना प्रणाम करने मात्र से हमारे परिणाम सुंदर हो जाते हैं, शरीर में ऊर्जा का उर्दू आरोहण होने लगता है और ब्रेन का संतुलन बढ़ जाता है उन्होंने कहा कि आजकल मोबाइल 4G से चलते हैं पर हमारे 4G है माताजी पिताजी गुरुजी और प्रभु जी जो सुबह उठकर माता को प्रणाम करता है वह कभी गरीब नहीं रहता जो पिता को प्रणाम करता है वह कभी बदनसीब नहीं होता जो गुरु जी को प्रणाम करता है वह कभी गम की नहीं होता और जो भाई और बहन को प्रणाम करता है वह कभी चरित्रहीन नहीं होता अगर आपको लगता है कि आप के ऊपर शनि की साढे साती लगी हुई है तो वह पंडितों के द्वारा बताए हुए टोटकों से 7 साल में उतरेगी पर जो मां बाप को प्रणाम कर उनकी धूल को सिर पर धारण करने का नियम ले लेगा मेरी गारंटी है वह मात्र 7 महीनों में शनि की महादशा से उबर जाएगा । उन्होंने कहा कि हमें रोज पंचांग प्रणाम करके बड़ों से आशीर्वाद और औरों से दुआएं लेनी चाहिए। क्योंकि दुआओं में बड़ी ताकत होती है पत्थर मजबूत होता है पर लोहा पत्थर को तोड़ देता है अग्नि लोहे को पिघला देती है पानी अग्नि को बुझा देता है, इंसान पानी को भी पी जाता है प्रमोद इंसान को खत्म कर देती है पर दुआओं में इतनी ताकत है उसके सामने आय हुई मौत भी वापस चली जाती है। उन्होंने कहा कि अगर हमारी रिश्तो में किसी तरह की खटास या दूरी आज चुकी है तो आप केवल उस व्यक्ति को प्रणाम करके आ जाएं सारी दूरियां कुछ सेकेंड में ही दूर हो जाएगी संत प्रवर की प्रेरणा से सैकड़ों बहुओं जब अपनी सासू मां को पंचांग प्रणाम किया और शासकों ने बहुओं को अपने गले लगाया तो गांधी मैदान में बैठे हर श्रद्धालुओं की आंखें भीग उठी प्रार्थना करने की सीख देते हुए संत प्रवर ने श्रद्धालुओं से कहा कि गॉड इज द बेस्ट डॉक्टर एंड प्रेयर इज द बेस्ट मेडिटेशन प्रार्थना करने से मन पवित्र हो जाता है बुद्धि सद्बुद्धि बन जाती है संकट दूर हो जाते हैं बाधाएं टूट जाती है और जीवन में तरक्की के नए रास्ते खुलने शुरू हो जाते हैं दुनिया से बात करनी हो तो फोन चाहिए प्रभु से बात करने के लिए मौन चाहिए आनंद लूट ले प्रभु की बंदगी का पता नहीं कब साथ छूट जाए जिंदगी का उन्होंने कहा कि जो दिन की शुरुआत प्रार्थना के साथ और दिन का समापन स्वाध्याय के साथ करता है उसके दिन और रात दोनों धन्य हो जाते हैं उन्होंने हर रविवार को घर में सामूहिक प्रार्थना करने की प्रेरणा देते हुए कहा कि इससे घर का वातावरण निर्मल रहेगा सब के संस्कार अच्छे रहेंगे फैक्ट्री में सामूहिक प्रार्थना करने से उत्पादन बढ़ जाएगा स्टाफ मन लगाकर दुगना काम करेगा उन्होंने कहा कि हमें दिन में तीन बार प्रार्थना करनी चाहिए सुबह भाग्य का उदय करने के लिए दोपहर में खाने से पहले प्रभु को शुक्राना अदा करने के लिए और रात्रि में सोने से पहले दिन में हो चुकी गलतियों की क्षमा याचना करने के लिए।
उन्होंने परोपकार का पाठ सिखाते हुए कहा कि रोज दान करें जिससे जीवन में स्थाई परिणाम मिलेंगे। याद रखें, दुनिया में कुछ लोग देकर राजी होते हैं कुछ लोग लेकर। कुछ खाकर खुश होते हैं कुछ खिलाकर। जो खाकर राजी होते हैं वे मुफ्त की जिंदगी जीते हैं, पर जो खिलाकर खुश होते हैं वे मूल्यवान जीवन के मालिक होते हैं। तीर्थंकरों ने वर्षीदान देकर, दधीचि ने अस्थिदान देकर, कर्ण ने अमर कवच देकर और भामाशाह ने अपना सर्वस्व दान कर हमारे सामने यह आदर्श स्थापित किया है कि हमारे जीवन में भी दान देने का संस्कार अवश्य होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि नसीब, किस्मत या लक का निर्माण दान और समर्पण से ही होता है। जितना दोगे वह बीज बोने का काम करेगा। जितना बोओगे, सुखों की फसल उतनी ही गुना लौटकर आएगी। हर व्यक्ति को अपनी कमाई का कम-से-कम 2% भाग जरूरतमंदों के लिए जरूर लगाना चाहिए, तभी हमारे अर्जित धन की शुद्धि हो पाएगी। नेकी की गली का एक ही मंत्र है : कर भला, होगा भला। हर महिला भोजन बनाते समय 4 रोटी गाय-कुत्ते के लिए अवश्य बनाए और हर पुरुष 50 का नोट ही सही, गरीबों की मदद के लिए अवश्य खर्च करे। बिना दान, कैसे मिलेगा सुखी होने का वरदान!
उन्होंने कहा कि रोज अन्नदान, वस्त्र दान, ज्ञान दान, औषधी दान और अभय दान दीजिए। याद रखें, भला, भूखे को रोटी और प्यासे को पानी पिलाने से बढक़र कौन-सा पुण्य कार्य होगा! अन्नदान करने वालों के जीवन में तो हमेशा अन्न का भंडार भरा रहता है। यदि हम अपने हाथ से पत्थर फेंकेंगे तो वह 100 फुट तक जाकर गिरेगा, बंदूक से गोली छोड़ेंगे तो 1000 फुट तक जाकर गिरेगी, तोप से गोला दागेंगे तो
5000 फुट तक जाकर गिरेगा, पर अगर किसी भूखे को रोटी देंगे तो वह ठेठ स्वर्ग लोक तक पहुँचेगा।
आप फुटपाथ पर बसर करने वालों को खाना खिलाइए। अपने दफ्तर, दुकान या घर में काम करने वाले चतुर्थश्रेणी के कर्मचारियों को भी अन्नदान कीजिए अथवा उनके लिए अपनी उदारता का द्वार खोलिए जिन्हें आप जरूरतमंद समझते हैं।
इससे पूर्व मुनि शांतिप्रिय सागर ने सभा को संबोधित करते हुए संगत संस्कार और स्वभाव को मधुर बनाने के मंत्र दिए।
इस दौरान सभी भाई बहनों को साहित्य बांटने का लाभ विकास शारदा और नरेंद्र कुमार निशांत कुमार नरेड़ी परिवार ने लिया।
इस अवसर पर प्रवचन माला के लाभार्थी दिलीप कुमार महावीर राजेश पामेचा और सुरेंद्र कुमार अखिलेश कुमार चौधरी परिवार का गुरुजनों द्वारा साहित्य देकर अभिनंदन किया गया।
कार्यक्रम में उमराव सिंह ओस्तवाल मुंबई, केसरीमल सिंघवी, शांतिलाल मारु विशेष रूप से उपस्थित थे।
सोमवार को नया गांव में होंगे गुरुजनों के प्रवचन-संतों ने महा मांगलिक देकर नया गांव की ओर विहार किया जहां सोमवार को सुबह 9:00 बजे जैन मंदिर स्थित चौधरी आवास पर उनके सत्संग और प्रवचन का आयोजन होगा। वे 3 मार्च को नीमच पहुंचेंगे जहां जैन भवन स्थित मिडिल स्कूल ग्राउंड में तीन दिवसीय विराट प्रवचन माला का आयोजन होगा जिसमें निंबाहेड़ा से अनेक श्रद्धालु भाग लेंगे।